Neem Karoli Baba Kainchidham - 2 Days

Neem Karoli Baba Kainchidham – एक महान दिव्यदर्शी

Neem Karoli Baba Kainchidham – नीम करोली बाबा जिनके बारे में शायद बहोत कम् लोग जानते होंगे लेकिन जो जानते है वो इनकी अद्भुत दिव्या महिमा के बारे में भी जानते होंगे नैनीताल से ३८कम की दुरी पर नीम करोली बाबा का आश्रम है जो कैंचीधाम के नाम से फेमस है , सो मुज़हे अपने नैनीताल के ट्रिप पे का मुख्या कारन बाबा के दरबार में आना था क्युकी इनकी महिमा जितनी मैंने सुनी थी बस सच्चे मैं से इनकी महिमा को महसूस भी करना था|

नीम करोली बाबा जी बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतो में से एक थे। बाबा के भक्तो में एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स , फेसबुक के संस्थापक मार्क ज़ुकरबर्क और जूलिया रोबर्ट का नाम लिया जाता है । और यह भी कहा जाता है की नीम करोली बाबा की कृपा पा कर ही ये सभी लोग अपने जीवन me  सफल हुए ।

नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था।  उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में उनका जन्म 1900 के आसपास हुआ था।

ग्यारह वर्ष की उम्र में उनकी शादी एक संपन्न ब्राह्मण परिवार की लडक़ी से कर दी गई। लेकिन महाराजजी ने अपनी शादी के तुरंत बाद घर छोड़ दिया और गुजरात चले गए। करीब 10-15 साल बाद, उनके पिता को किसी ने बताया कि उसने उत्तर प्रदेश के रुखाबाद जिले के नीब करोरी गांव (जिसका नाम बिगडक़रनीम करोलीहो गया) में एक साधु को देखा है जिसकी शक्ल उनके बेटे की शक्ल से मिलती है।

मिलती है। मगर उनके पिता ने उन्हें पारिवारिक जीवन जीने को कहा और वो अपने आधयात्मिक जीवन के आठ गृहस्थ जीवन भी जिए

उन्होंने अपने शरीर का त्याग 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में किया था। बताया जाता है कि बाबा के आश्रम में सबसे ज्यादा अमेरिकी ही आते हैं। आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच स्थित है,  यहां 5 देवी-देवताओं के मंदिर हैं। इनमें हनुमानजी का भी एक मंदिर है। बाबा नीम करोली हनुमानजी के परम भक्त थे और उन्होंने देशभर में हनुमानजी के 108 मंदिर बनवाए थे।

नीम करोली  जी महाराज का विदेशी शिष्या रामदास (रिचर्ड एलपर्ट) से मुलाकात  की घटना

‘‘रामदास अमेरीका से भारत आया। वह इतना बड़ा नशेबाज था कि एक दिन में दो, तीन एलएसडी निगल सकता था। एक दिन वह नीम करोली बाबा के पास गया, जो असाधारण काबिलियत के धनी एक अद्भुत गुरु थे। वे दिव्यदर्शी, एक असाधारण व्यक्ति और हनुमान के भक्त थे।

तो वह नीम करोली बाबा के पास आया और बोला, ‘मेरे पास एक असली माल है जो स्वर्ग का आनंद देता है। आप इसे खाएं तो ज्ञान के सारे दरवाजे खुल जाते हैं। क्या आप इसके बारे में कुछ जानते हैं?’ नीम करोली बाबा ने पूछा, ‘यह क्या है? मुझे बताओ।’

उन्होंने गोलियों को मुंह में डाला और निगल लिया। फि र वहां बैठकर अपना काम करते रहे। रामदास वहां इस उम्मीद में बैठा रहा कि यह आदमी अभी मरने वाला है।

उसने उन्हें कई सारी गोलियां दीं। वह बोले, ‘तुम्हारे पास कितनी हैं? मुझे दिखाओ।’ उसके पास बहुत सारी गोलियां थीं, जो उसके लिए कई दिनों या महीनों चलती। वह बोले, ‘लाओ मुझे दो।’ उसने उन्हें मुट्ठी भर एलएसडी दे दीं। उन्होंने गोलियों को मुंह में डाला और निगल लिया। फि र वहां बैठकर अपना काम करते रहे। रामदास वहां इस उम्मीद में बैठा रहा कि यह आदमी अभी मरने वाला है। मगर नीम करोली बाबा पर एलएसडी का कोई असर नहीं दिख रहा था। वह काम करते रहे, उनका मकसद बस रामदास को यह बताना था कि तुम एक फालतू सी चीज पर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हो। यह चीज तुम्हारे किसी काम नहीं आने वाली।’’

रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) ने नीम करोली बाबा के चमत्कारों पर ‘मिरेकल ऑफ़ लव’ नामक एक किताब लिखी इसी में ‘बुलेटप्रूफ कंबल’ नाम से एक घटना का जिक्र है।

बाबा के कई भक्त थे। उनमें से ही एक बुजुर्ग दंपत्ति थे जो फतेहगढ़ में रहते थे। यह घटना 1943 की है। एक दिन अचानक बाबा उनके घर पहुंच गए और कहने लगे वे रात में यहीं रुकेंगे। दोनों दंपत्ति को अपार खुशी तो हुई, लेकिन उन्हें इस बात का दुख भी था कि घर में महाराज की सेवा करने के लिए कुछ भी नहीं था। हालांकि जो भी था उन्हों बाबा के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। बाबा वह खाकर एक चारपाई पर लेट गए और कंबल ओढ़कर सो गए।

दोनों बुजुर्ग दंपत्ति भी सो गए, लेकिन क्या नींद आती। महाराजजी कंबल ओढ़कर रातभर कराहते रहे, ऐसे में उन्हें कैसे नींद आती।  वे वहीं बैठे रहे उनकी चारपाई के पास। पता नहीं महाराज को क्या हो गया। जैसे कोई उन्हें मार रहा है। जैसे-तैसे कराहते-कराहते सुबह हुई। सुबह बाबा उठे और चादर को लपेटकर बजुर्ग दंपत्ति को देते हुए कहा इसे गंगा में प्रवाहित कर देना। इसे खोलकर देखना नहीं अन्यथा फंस जाओगे। दोनों दंपत्ति ने बाबा की आज्ञा का पालन किया। जाते हुए बाबा ने कहा कि चिंता मत करना महीने भर में आपका बेटा लौट आएगा।

जब वे चादर लेकर नदी की ओर जा रहे थे तो उन्होंने महसूस किया की इसमें लोहे का सामान रखा हुआ है, लेकिन बाबा ने तो खाली चादर ही हमारे सामने लपेटकर हमें दे दी थी। खैर, हमें क्या। हमें तो बाबा की आज्ञा का पालन करना है। उन्होंने वह चादर वैसी की वैसी ही नदी में प्रवाहित कर दी।

लगभग एक माह के बाद बुजुर्ग दंपत्ति का इकलौता पुत्र बर्मा फ्रंट से लौट आया। वह ब्रिटिश फौज में सैनिक था और दूसरे विश्वयुद्ध के वक्त बर्मा फ्रंट पर तैनात था। उसे देखकर दोनों बुजुर्ग दंपत्ति खुश हो गए और उसने घर आकर कुछ ऐसी कहानी बताई जो किसी को समझ नहीं आई।

उसने बताया कि करीब महीने भर पहले एक दिन वह दुश्मन फौजों के साथ घिर गया था। रातभर गोलीबारी हुई। उसके सारे साथी मारे गए लेकिन वह अकेला बच गया। मैं कैसे बच गया यह मुझे पता नहीं। उस गोलीबारी में उसे एक भी गोली नहीं लगी। रातभर वह जापानी दुश्मनों के बीच जिन्दा बचा रहा। भोर में जब और अधिक ब्रिटिश टुकड़ी आई तो उसकी जान में जा आई। यह वही रात थी जिस रात नीम करोली बाबा जी उस बुजुर्ग दंपत्ति के घर रुके थे।

तो कुछ यूँ है नीम करोली बाबा की महिमा जिसको मैंने खुद महसूस किया और आप लोग वह जाएँ तो सच्चे मन से बिना किसी स्वार्थ के जाएँ और कुछ देर वह बैठ कर ध्यान करें क्युकी भगवन को आपके सच्चे दिल से भक्ति को देख बिना कुछ मांगे ही सब कुछ दे देते हैं ।

मंदिर के द्वार पर एक वृद्ध दादी माँ बैठी रहती है जो अपना दैनिक जीवन भीख मांग  कर चलाती हैं । मगर उनसे बात करके पता चला की उनकी उम्र १०४ साल है और नीम करोली बाबा उनको जानते भी थे । तो आप सभी लोग वहां बृद्ध दादी माँ को देखें तो कुछ उनकी मदद जरूर करें ।

Overview

How to reach Kainchidham,

By Road –

Delhi to Nainital – 325 Kms

Nainital to Kainchidham – 36 Kms

By Train –

Nearest Station – Kathgodam

Kathgodam to Kainchidham – 45 Kms

Itinerary

Day 1
Delhi - Nainital - Kainchidham (370km)

Start your trip to Kainchidham vai Nainitalmearly morning around 6 Am and reach Kainchidham till evening if you can reach before 6 Pm then Ashram will be open and you can get darshan. Otherwise, you can also visit the temple the next day morning.

Day 2
Kainchidham - Delhi (370km)

You can start back home at 11-12 Am in the morning and reach Delhi till night.

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Can click picture inside temple?

No, strictly prohibited, pictures allowed outside the temple.

Does Covid test required?

No, you don’t need any Covid test, but they do check body temperature.

Is there any successor of Neem Kroli Baba Ji lives here?

Siddhi Maa was the last successor of Karoli Baba Ji, so there is no other successor just गद्दी स्थल of Maharaj Ji is there.

You can send your enquiry via the form below.

Neem Karoli Baba Kainchidham

Trip Facts

  • 2 Days
  • Whole Year
  • 1400 Meters
  • Summer: 15 to 24°C, Winter: -5 to 5°C
  • Cab or Bus
  • Hotel
  • Must be in good health
  • Religious