Ancient Gartang Gali Wooden Bridge - 4 Days

Ancient Gartang Gali Wooden Bridge: Dangerous Skywalk

Ancient Gartang Gali Wooden Bridge : गर्तांग गली ब्रिज, तिब्बत की तरफ जाने के लिए व्यापारिक रूप से एक प्राचीन रास्ता है और ऐसा माना जाता है कि यह पेशावर के पठानों के द्वारा बनाया गया था भारत चीन युद्ध 1962 के दौरान यह पुल आंशिक रूप से धाराशाही हो चुका था जिसकी वजह से यहां पर यातायात पूरी तरीके से पिछले 59 सालों से बंद कर दिया गया था।

यह ऐतिहासिक ब्रिज डेढ़ सौ साल पुराना माना जाता है जो कि उत्तराखंड के नेलांग घाटी में 11000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह नेलांग वैली इंडो चाइना बॉर्डर के पास बना हुआ है|

जिसे पिछले बुधवार अगस्त 2021 में ठीक 59 सालों के बाद मरम्मत करने के बाद से खोल दिया गया और अब यहां पर टूरिस्ट आसानी से आ सकेंगे और इस अद्भुत ब्रिज का रोमांचक लुफ्त उठा सकेंगे।

उत्तरकाशी जिले के मजिस्ट्रेट श्री मयूर दीक्षित के द्वारा यह आर्डर पिछले बुधवार को घोषित किया गया उन्होंने बताया कि इस ब्रिज को पब्लिक वर्क डेवलपमेंट के तहत कुल 65 लाख के खर्च से इस ब्रिज की मरम्मत की गई और अब आम नागरिकों के लिए इसे खोल दिया गया है|

और जो यात्री यहां पर घूमने के लिए आना चाहते हैं उनको भैरव घाटी चेक पोस्ट पर खुद को रजिस्टर करना पड़ेगा सभी को महामारी की गाइडलाइन के अनुरूप।

जिला मजिस्ट्रेट ने बताया कि इस बीच के मरम्मत का कार्य पिछले साल सितंबर में शुरू किया गया था और इस साल जुलाई में जाकर से पूरा किया गया इसके मरम्मत का कार्य बहुत ही चुनौतीपूर्ण था क्योंकि यहां पर मजदूरों को कार्य करने के लिए कोई पक्की जगह ना होने के कारण सबको एक लटकते हुए रस्सी के सहारे काम करना पड़ा जो पूरी तरीके से जोखिम भरा था। 

मगर बिना किसी जानमाल या घटना के बावजूद इस ब्रिज का मरम्मत कार्य चुनौती पूर्ण तरीके से पूरा किया गया जिसका पूरा श्रेय यहां के मजदूरों और इंजीनियर को जाता है।

वैसे तो यह ब्रिज गंगोत्री नेशनल पार्क के अंदर आता है जो कि उत्तरकाशी जिले से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इस ब्रिज की लंबाई 136 मीटर तथा 1.8 मीटर चौड़ी है।

सुरक्षा के सुरक्षा के मद्देनजर इस ब्रिज पर एक बार में केवल 10 लोगों को चढ़ने की अनुमति है और दो लोगों के बीच कम से कम 1 मीटर की दूरी अनिवार्य है और चलते वक्त इस ब्रिज पर कोई भी ऐसे गतिशील कार्य प्रतिबंधित है जैसे कूदना, नाचना, शराब का सेवन या आग से जलने वाली कोई भी चीज ले जाना प्रतिबंधित है।

वैसे तो इस तरीके का अजीबोगरीब ट्रैक भारत में बहुत कम ही देखने को मिलता है मगर इंडोनेशिया, चाइना, जापान जैसे देशों में इस तरीके के रोमांचक भरे ट्रक बहुत देखते हुए मिलते हैं जिसको करने के लिए भारत से लोग इतनी दूर दराज के देशों में जाते हैं|

मगर अब भारत में भी इस तरीके के रोमांचक ट्रैक खुलने की वजह से भारत के टूरिज्म को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है और लोगों का रोमांच और यहां पर घूमने का रुझान भी बढ़ेगा।

शैलेंद्र मतोड़ा जोकि लोकल होटल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट है उनके अनुसार यह ब्रिज उत्तराखंड में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। इनके अनुसार इस ब्रिज को खोलने के लिए 2017  से ही डिमांड आ रही थी जो अब जाकर सफल हुआ और उम्मीद है की अब पूरे भारत से यह पर यात्रियों का आना संभव होगा।

Overview

वैसे तो यह ब्रिज गंगोत्री नेशनल पार्क के अंदर आता है जो कि उत्तरकाशी जिले से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इस ब्रिज की लंबाई 136 मीटर तथा 1.8 मीटर चौड़ी है।
सुरक्षा के सुरक्षा के मद्देनजर इस ब्रिज पर एक बार में केवल 10 लोगों को चढ़ने की अनुमति है और दो लोगों के बीच कम से कम 1 मीटर की दूरी अनिवार्य है और चलते वक्त इस ब्रिज पर कोई भी ऐसे गतिशील कार्य प्रतिबंधित है जैसे कूदना, नाचना, शराब का सेवन या आग से जलने वाली कोई भी चीज ले जाना प्रतिबंधित है।

वैसे तो इस तरीके का अजीबोगरीब ट्रैक भारत में बहुत कम ही देखने को मिलता है मगर इंडोनेशिया, चाइना, जापान जैसे देशों में इस तरीके के रोमांचक भरे ट्रक बहुत देखते हुए मिलते हैं जिसको करने के लिए भारत से लोग इतनी दूर दराज के देशों में जाते हैं मगर अब भारत में भी इस तरीके के रोमांचक ट्रैक खुलने की वजह से भारत के टूरिज्म को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है और लोगों का रोमांच और यहां पर घूमने का रुझान भी बढ़ेगा।

Itinerary

Day 1
दिल्ली - ऋषिकेश - उत्तरकाशी (425 km)

यात्रा के पहले दिन दिल्ली से ऋषिकेश 250 km की दुरी या तो सुबह सुबह की शुरू क्र दें या फिर रात में दिल्ली से चल कर जल्दी सुबह ऋषिकेश पहुंच जाएँ
ऋषिकेश में कुछ वक्त आराम करके वहां से उत्तरकाशी के लिए निकल जाये जो की 170 किमी की दुरी पर है एयर 7-8 घंटे का समय लग सकता है|
यहाँ शाम तक पहुंच कर रात में किसी होटल में आराम करें |

Day 2
उत्तरकाशी - गर्तंग गली - उत्तरकाशी (190 किमी )

यात्रा के दूसरे दिन उत्तरकाशी से जल्दी सुबह उठ कर नास्ता करके अपनी यात्रा आगे के लिए शुरू करें |
दूसरे दिन उत्तरकाशी से भैरव घाटी जाना होता है जोकि नेलांग घाटी में पड़ता है और उत्तरकाशी से 90 किमी की दुरी पर है
और यहाँ पर यात्रियों का रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है |
आज के दिन गर्तंग गली पार्ट ट्रेक करके आप वापस उत्तरकशी आ सकते हैं |

Day 3
उत्तरकाशी - ऋषिकेश -(170 किमी )

उत्तरकाशी से इस दिन सुबह जल्दी नाश्ता करके आप ऋषिकेश के लिए निकल पड़े और ऋषिकेश शाम तक आप आसानी से पहुंच जायेंगे और ऋषिकेश में रात को होटल में रुक कर आराम करें

Day 4
ऋषिकेश तो दिल्ली (250 km)

ऋषिकेश से दिल्ली का सफर आप सफर के आखरी दिन कर सकते हैं इस दिन आप ऋषिकेश भी घूम सकते हैं और शाम को यहाँ से दिल्ली के लिए रवाना हो सकते हैं

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Ancient Gartang Gali Wooden Bridge

Trip Facts

  • 4 Days
  • Difficult
  • Whole Year (except monsoon time)
  • 11000 ft
  • Summer: 15 to 24°C, Winter: -15 to 5°C
  • Bhairaw Ghati
  • Cab or Bus
  • Hotel
  • Must be in good health
  • Trekking