Kagbhushandi Tal Trek – 7 Days Trek
Where Crows Fly to Die
Kagbhushandi tal trek is one beautiful trek close to Joshimath in Uttrakhand. Following up the very course as that of the more well known Valley Of Flowers Trek, this trip abandons the town of Bhyunder and afterward goes into the area of the Hathi Parvat.
A tranquil path gets troublesome on occasion in type of two passes remaining as a hindrance – the Kankul Pass and the Barmei Pass. In the middle of between these tow boundaries lies the vista of the flawless pool of Kagbhushandi.
As carefully said by somebody, you don’t get the view on the off chance that you don’t take the aggravation. The perspectives presented by this trip are jawdropping, motivating to commend the could of the himalayas to a higher level. The course is additionally viewed as devout by the Hindu accepts
In the event that you are a adventurous trekker, and like the offbeat route of the Himalayas, quick to challenge yourself, this journey is for you.
Aside from the stunning lake, the other fascination of the trip are two immense rocks on a projection of Hathi Parvat frequently portrayed as crow (Kaga) and an Eagle (Garuda). A few classic stories are joined to the stones, one of them accepted by local people is an energized discussion is conveyed among crow and Garuda on the undertakings of the universe.
There are not many more legends, as per one of it a learned Brahmin of Ayodhya in the wake of causing the rage of the sage Lomas was changed into a crow by the sage. A few such spiritualist stories make this trip all the seriously intriguing. Favored with excellence in full abundance, these yet to investigated trails are ideal for those looking for harmony and detachment from the city’s hustle clamor.
कागभुसांडी ताल – जोशीमठ विवरण
चमोली जिले में गढ़वाल हिमालय के हाथी पर्वत (6730 मीटर) की गोद में स्थित, कागभुसांडी ताल पन्ना हरे पानी से सजी एक सुंदर आयताकार झील है। कंकुल दर्रे के पास 5,230 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, झील लगभग एक किलोमीटर लंबी है, जो मौसम के दौरान पूरी तरह से खिलने वाले जंगली फूलों से सजा है। इस अद्भुत ट्रेक का निशान फूलों की प्रसिद्ध घाटी के साथ शुरू होता है, जो भायंदर गांव के पूर्व में स्थित है।
यह देवदार और मेपल के घने और रंगीन जंगल से लेकर प्राचीन ग्लेशियरों और बहती धाराओं तक कई इलाकों से होकर गुजरता है, जिससे यह ट्रेक एक आकर्षक अनुभव बन जाता है। शानदार झील के अलावा, ट्रेक के अन्य आकर्षण हाथी पर्वत के प्रक्षेपण पर दो विशाल चट्टानें हैं जिन्हें अक्सर कौवा (कागा) और एक ईगल (गरुड़) के रूप में वर्णित किया जाता है।
कई लोक कथाएँ चट्टानों से जुड़ी हुई हैं, उनमें से एक स्थानीय लोगों द्वारा माना जाता है कि ब्रह्मांड के मामलों पर कौवे और गरुड़ के बीच एक एनिमेटेड बातचीत की जाती है। कुछ और मिथक हैं, उनमें से एक के अनुसार, अयोध्या के एक विद्वान ब्राह्मण ऋषि लोमा के क्रोध को झेलने के बाद ऋषि द्वारा एक कौवे में बदल दिया गया था। ऐसी कई रहस्यवादी कहानियां इस ट्रेक को और भी आकर्षक बनाती हैं। सुंदरता से भरपूर, ये अभी तक खोजे गए रास्ते शहर की हलचल से शांति और अलगाव की तलाश करने वालों के लिए एकदम सही हैं।
अवधि: 8 – 9 उच्चतम ऊंचाई: 4800m
ग्रेड: Difficult-Medium (ट्रेक ग्रेड जानें) 👍
सर्वोत्तम समय: मई अंत – जून, सितंबर – अक्टूबर की शुरुआत
गतिविधि प्रकार: ट्रेक
ट्रेल प्रकार: समान निकास प्रवेश बिंदु से शुरू होता है: जोशीमठ समाप्त होता है: जोशीमठ
क्षेत्र: भारत – उत्तराखंड
🛪 निकटतम हवाई अड्डा: जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून, उत्तराखंड
🚉 निकटतम रेल प्रमुख: ऋषिकेश, उत्तराखंड
Short Itinerary
दिन 1 : जोशीमठ से भायंदर गांव
दूसरा दिन : भायंदर गांव से समरतोली बुग्याल से डांग खड़क ग्लेशियर कैंप
दिन 3: डांग खड़क से कंकुल दर्रा बेस कैंप
दिन 4: कंकुल दर्रे से कागभुसांडी ताल . तक
दिन 5: कागभुसांडी ताल से बरमई दर्रा से ऊपरी बरमई कैम्पिंग ग्राउंड
दिन 6 : अपर बरमई कैम्पिंग ग्राउंड से फरसावां बैंक से जबर खड़क से पेनका गांव तक
दिन 7: विष्णु प्रयाग के लिए पेनका गांव, जोशीमठ के लिए ड्राइव
Altitude of Nearest Peak
- Kagbushandi Tal Altitude : 5230 m
- Samartoli Altitude : 3170 m
- Raj Karak Altitude : 3900 m
- Brahmi Khal Altitude : 4900 m
- Kan Kul Khal Altitude : 5200 m
कागभुशंडी की कहानी STORY KAGBHUSANDI TAL –
लोमश ऋषि के श्राप के कारण कागभुशुंडी कौवा बन गया। ऋषि लोमश ने उन्हें श्राप से मुक्त होने के लिए राम मंत्र और इच्छामृत्यु का वरदान दिया। उन्होंने अपना पूरा जीवन एक कौवे के रूप में बिताया। वाल्मीकि से पहले भी काकभुशुंडी ने गिद्ध गरुड़ को रामायण सुनाई थी।
लोमश ऋषि परम तपस्वी तथा विद्वान थे। इन्हें पुराणों में अमर माना गया है। हिन्दू महाकाव्य महाभारत के अनुसार ये पाण्डवों के ज्येष्ठ भ्राता युधिष्ठिर के साथ तीर्थयात्रा पर गए थे और उन्हें सब तीर्थों का वृत्तान्त बतलाया था। लोमश ऋषि बड़े-बड़े रोमों या रोओं वाले थे। इन्होंने भगवान शिव से यह वरदान पाया था कि एक कल्प के बाद मेरा एक रोम गिरे और इस प्रकार जब मेरे शरीर के सारे के सारे रोम गिर जाऐं, तब मेरी मृत्यु हो।
जब रावण के पुत्र मेघनाथ ने श्रीराम से युद्ध करते हुए श्रीराम को नागपाश से बांध दिया था, तब देवर्षि नारद के कहने पर गिद्धराज गरूड़ ने नागपाश के समस्त नागों को खाकर श्रीराम को नागपाश के बंधन से मुक्त कर दिया था। भगवान राम के इस तरह नागपाश में बंध जाने पर श्रीराम के भगवान होने पर गरूड़ को संदेह हो गया। गरूड़ का संदेह दूर करने के लिए देवर्षि नारद उन्हें ब्रह्माजी के पास भेज देते हैं। ब्रह्माजी उनको शंकरजी के पास भेज देते हैं। भगवान शंकर ने भी गरूड़ को उनका संदेह मिटाने के लिए काकभुशुण्डिजी के पास भेज दिया। अंत में काकभुशुण्डिजी ने राम के चरित्र की पवित्र कथा सुनाकर गरूड़ के संदेह को दूर किया।
Overview
About Kagbhusandi Tal – Kankul Pass Trek
Base Camp : Joshimath
Level : Moderate to Difficult
Max Peak : 5230 m
Closest Airport : Jolly Grant Airport
Closest Railhead : 250 km
Area : Chamoli District, Garhwal Himalayas
Snow : Expect weighty snowfall between thre long periods of January and March, when the path is totally covered with snow. It might get diffcult to travel during winters when the snow is delicate. It is generally April onwards that the courses get gotten free from any hints of snow.
Beginning stage of trip : Joshimath