Munsiyari Uttarakhand Trip - 5 Days

Munsiyari Uttarakhand Trip

Munsiyari Uttarakhand Trip: मुंसियारी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक बेहद खूबसूरत गांव में से एक माना जाता है। मुंसियारी की खूबसूरती यहां के चारों तरफ पहाड़ों से घिरे घाटी की वजह से है जो समुद्र तल से लगभग 2298 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। “मुंसियारी का सीधा सा मतलब होता है बर्फ की जगह और इस जगह को लिटिल कश्मीर भी कहा जाता है।”

मुनस्यारी की खूबसूरती यहां के हिमालय के पहाड़ों की श्रृंखला है जो बर्फ से ढकी चादरों से बेहद खूबसूरत नजारा पेश करता है।
पंचाचूली 5 पर्वतों का एक समूह है जो यहां की खूबसूरती का प्रमुख केंद्र है और यह पांच पर्वतों की चोटियों से मिलकर बना है और पांच चोटिया किसी चूल्हे की चिमनी की तरह प्रतीत होती हैं।
मुंसियारी से उत्तराखंड के सबसे बड़ी चोटिया जैसे नंदा देवी चोटी, नंदा कोट छोटी, राजा रंभा पर्वत और नेपाल के हिमालय की पहाड़ी श्रृंखला बिल्कुल साफ नजर आती है जैसा प्रतीत होता है कि आप इन पर्वतों के बिल्कुल नीचे खड़े होकर इनको देख रहे हो जिसकी वजह से यहां पर आने वाले पर्यटक इन पर्वतों को देख अपना दिल थाम लेते हैं जो इस घाटी का मुख्य आकर्षण केंद्र है।

मुंसियारी पर्यटकों के लिए बेहद खूबसूरत चित्रकारी और फोटोग्राफी के लिए प्रसिद्ध है और इसके अलावा यहां से ट्रेकिंग के बहुत सारे मुख्य रास्ते बने हुए हैं जो हिमालय की कुछ बेहद ऊंची चोटियों के लिए ट्रैकिंग किए जाने के लिए प्रसिद्ध है जैसे मुंसियारी नीलम, रालम और नामिक ग्लेशियर का बेस कैंप भी है।

हालांकि पहले मुंसियारी में पर्यटको का जाना मना था क्योंकि यह तिब्बत और नेपाल बॉर्डर श्रृंखला के पास स्थित है मगर अब यह पर्यटकों के लिए एक प्रसिद्ध ट्रैकिंग स्थान की तरह उभर रहा है और उत्तराखंड की सरकार मुंसियारी को पर्यटन की तरह और भी प्रोत्साहित कर रही है।

मुंसियारी में प्रमुख ट्रैकिंग

नामिक ग्लेशियर ट्रेक:

  • नामिक ग्लेशियर उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में पिथौरागढ़ जिले के गोगीना गांव के पास स्थित है।
    यह ग्लेशियर समुद्र तल से 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है|
  • नामिक ग्लेशियर जाने का रास्ता पुराने इंडो तिब्बत रूट से होकर जाता है रोमांचित कर देने वाला ग्लेशियर उत्तराखंड की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखला नंदा देवी जोकि 7848 मीटर की ऊंचाई पर है और नंदा कोट पर्वत तथा त्रिशूल पर्वत से चारों तरफ से घिरा हुआ है और इस ट्रैक की तरफ जाने वाले रास्ते पर सारे वाटरफॉल (जलप्रपात) मिलते हैं l
  • नामिक ग्लेशियर रामगंगा नदी का उद्गम स्थल है इसी ग्लेशियर के पिघलने से रामगंगा नदी बनती है और मुंसियारी से तकरीबन 40 किलोमीटर की दूरी पर है।

पंचाचूली पीक

पंचाचुली पिक उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में स्थित 5 पर्वतों की श्रृंखला से मिलकर बना हुआ है और यह समुद्र तल से 3340 मीटर से लेकर 6904 मीटर की ऊंचाई तक बसा है और यही पर्वत श्रृंखला से निकलने वाले ग्लेशियर का पानी गोरी और धर्मा गंगा घाटी को जाता हैl पंचाचुली इतना बड़ा है कि यह गोरी गंगा और यांक्ति को विभाजित करता है और यह पिथौरागढ़ से लगभग 138 किलोमीटर की दूरी पर बसा है।

मुंसियारी में क्या क्या किया जा सकता है।

ट्रेकिंग:

मुंसियारी सभी छोटे से लेकर बड़े ट्रैकिंग डेस्टिनेशन का बेस कैंप है अगर आपको मिलम ग्लेशियर, नामिक ग्लेशियर और रालम ग्लेशियर की ट्रैकिंग करनी हो तो मुंसियारी से ही इसकी शुरुआत की जाती है। और यहां पर पर्वतारोहियों और सभी प्रोफेशनल ट्रैकर्स को ट्रेनिंग भी दी जाती है। अगर आप एक प्राकृतिक प्रेमी है तो यहां की ट्रैकिंग डेस्टिनेशन आपको बेहद पसंद आएंगे।

पहाड़ी गांव की यात्रा:

मुंसियारी उत्तराखंड के ऐसे पहाड़ी गांव में गिना जाता है जो आज भी बुनियादी जरूरत के हिसाब से बना हुआ है जो यहां की खूबसूरती पूरे भारत ही नहीं देश विदेश में भी मशहूर है यहां पर आकर आप यहां के गांव की खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं और मुंसियारी से सटे कुछ और भी गांव की सैर कर सकते हैं जो यहां के पुराने रीति रिवाज, पहनाओ और सभ्यता के साथ-साथ खानपान का भी लुफ्त उठा सकते हैं।

Bird watching (खूबसूरत चिड़ियों को देखना):

यहां के घने जंगलों में चीड़ के पेड़ देवदार के वृक्ष और कुछ प्रमुख विशालकाय पेड़ से गिरे हुए जंगल यहां के प्राकृतिक चिड़ियों के आवास का प्रमुख केंद्र है और यहां पर चिड़ियों की कुछ प्रमुख प्रजातियां जैसे wagtail रावेन, हिमालयन ग्रीफन, फाल्कन तथा सरपेंट ईगल जैसे बेहद खूबसूरत पक्षीयो को देख कर लुफ्त उठा सकते हैं।

मुंसियारी यात्रा के लिए कुछ जरूरी जानकारियां:

  • मुंसियारी जाने के लिए सबसे अच्छा समय मार्च से अक्टूबर और फिर मार्च और अप्रैल गर्मी के दिनों में यहां जाना बहुत ही शानदार होता है क्योंकि इस वक्त यहां का मौसम प्राकृतिक नजारों से भरा मिलता है।
  • अगर आप अपने प्राइवेट गाड़ी से जाते हैं तो अपनी गाड़ी की टंकी फुल रखें क्योंकि यहां पर केवल एक पेट्रोल पंप है जो कभी-कभी आउट ऑफ स्टॉक हो जाता है।
  • और अपने पास पर्याप्त मात्रा में कैश मनी रखें क्योंकि यहां पर दो या तीन एटीएम उपलब्ध है जो कभी-कभी इन में पैसे खत्म भी हो जाते हैं।
  • मानसून के समय यात्रा करते टाइम यहां पर पहाड़ों को टूट कर गिर ना लैंडस्लाइड और बादल फटने की घटना अक्सर होती है। तो जब भी बरसात के मौसम में आप जाएं तो यहां के लोकल लोगों से वातावरण की परिस्थिति को पहले से जान लें तब अपनी यात्रा का प्लान करें।
  • मुनस्यारी एक छोटा सा गांव है पिथौरागढ़ में जो यहां पर सीमित मात्रा में होटल उपलब्ध है जिसकी वजह से सीजन के वक्त यहां पर पहले से ही फुल बुकिंग होती है तो यहां आने से पहले आप अपने होटल की व्यवस्था पहले से कर लेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा।

मुंसियारी में रहने की व्यवस्था,

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित मुनस्यारी एक छोटा गांव है जहां पर रहने के लिए होटल की व्यवस्था सीमित मात्रा में उपलब्ध है जो सीजन के टाइम पर पूरी मात्रा में भरा रहता है मगर यहां पर होटल के अलावा कैंपिंग की भी सुविधा उपलब्ध है तो आप प्राकृतिक नजारों के साथ रहना चाहते हो तो यहां पर अपने लिए कैंपिंग बुक कर सकते हैं जो की प्रकृति प्रेमियों के लिए बेहद अच्छा ऑप्शन हो सकता है।

मुंसियारी में खाने की व्यवस्था,

मुंसियारी में खाने के लिए कोई कमी नहीं है यहां पर लोकल रेस्टोरेंट्स आपको मिल जाते हैं जहां पर नॉर्थ इंडियन खाना और कुछ प्रमुख चाइनीस फूड जैसे नूडल्स मोमोज आसानी से मिल जाते हैं और अगर आप मुंसियारी जा रहे हो तो कुमाऊं मंडल के कुछ पारंपरिक खानों का भी जरूर लुफ्त उठा सकते हैं, जो यहां के बेहद प्रसिद्ध है।

मुंसियारी का इतिहास,

मुंसियारी प्राचीनतम तिब्बत के व्यवसाय का एक मार्ग था और शुरू से एक टॉय टाउन की तरह जाना जाता था। मुंसियारी, जोहर वैली का मुख्य द्वार भी है और इसके साथ-साथ गोरी गंगा नदी और मिलम ग्लेशियर का रास्ता भी गया हुआ है।
प्राचीन समय में मुनस्यारी को किसी समूह के 2 लोग जिनका नाम था शौकस और भोटियास इन दोनों लोगों ने इस जगह को ढूंढा और यह ग्रुप मुंसियारी के रास्ते तिब्बत के लिए व्यापार का काम करते थे। हालांकि सन 1962 में उनका यह व्यापार बंद हो गया जब भारत तिब्बत की सीमा रेखा को बंद कर दिया गया और तब वहां के लोगों को यहां की भूमि कृषि योग्य नहीं लगी तो उन्होंने इस जगह को छोड़कर चले गए।

मुंसियारी की पौराणिक तथ्य

हिंदू पौराणिक तथ्यों के अनुसार महाभारत काल में जब पांचो पांडव स्वर्ग के लिए अंतिम यात्रा को जा रहे थे तब वह मुंसियारी गांव से होकर गुजर रहे थे और उसी वक्त पांचों पांडवों को भूख लगी तब द्रोपदी ने वहां मुंसियारी में पांचों पांडवों के लिए पांच चूल्हे बनाएं और उस पर उनके लिए खाना पकाया इसीलिए अब यह चाचुली के पांच पर्वत कहलाते हैं और उनके नाम से ही पंचाचुली नाम रखा गया।

Overview

मुंसियारी का इतिहास,

मुंसियारी प्राचीनतम तिब्बत के व्यवसाय का एक मार्ग था और शुरू से एक टॉय टाउन की तरह जाना जाता था। मुंसियारी, जोहर वैली का मुख्य द्वार भी है और इसके साथ-साथ गोरी गंगा नदी और मिलम ग्लेशियर का रास्ता भी गया हुआ है।
प्राचीन समय में मुनस्यारी को किसी समूह के 2 लोग जिनका नाम था शौकस और भोटियास इन दोनों लोगों ने इस जगह को ढूंढा और यह ग्रुप मुंसियारी के रास्ते तिब्बत के लिए व्यापार का काम करते थे। हालांकि सन 1962 में उनका यह व्यापार बंद हो गया जब भारत तिब्बत की सीमा रेखा को बंद कर दिया गया और तब वहां के लोगों को यहां की भूमि कृषि योग्य नहीं लगी तो उन्होंने इस जगह को छोड़कर चले गए।

मुंसियारी की पौराणिक तथ्य

हिंदू पौराणिक तथ्यों के अनुसार महाभारत काल में जब पांचो पांडव स्वर्ग के लिए अंतिम यात्रा को जा रहे थे तब वह मुंसियारी गांव से होकर गुजर रहे थे और उसी वक्त पांचों पांडवों को भूख लगी तब द्रोपदी ने वहां मुंसियारी में पांचों पांडवों के लिए पांच चूल्हे बनाएं और उस पर उनके लिए खाना पकाया इसीलिए अब यह चाचुली के पांच पर्वत कहलाते हैं और उनके नाम से ही पंचाचुली नाम रखा गया।

Itinerary

Day 1
Delhi to Mukhteshwar (340 km, 10 hr)

Delhi To Mukhteshwar: 15 hr 9 min (627.7 km)
अगर आप अपनी गाड़ी से जा रहे हैं तो दिल्ली से मुंसियारी ६२९ किमी है इसलिए आप दिल्ली से सुबह ही निकल जाये और दोपहर या शाम तक मुख्तेश्वर पहुंच जाएँ और एक रात वह होटल में रुक कर आराम करें क्योकि एक बार पूरी यात्रा करना बहुत कठिन होगा|

Day 2
Mukhteshwar to Munsiyari (268 km, 9hr)

दूसरे दिन मुख्तेश्वर से आप सुबह में नाश्ता करके निकल सकते है ताकि शाम को ४-५ बजे तक आप मुंसियारी पहुंच जाएँ. और रात में आप वह होटल या कैंप में रुक सकते हैं|

Day 3
Munsiyari Local Travel

तीसरे दिन आप मुंसियारी में वह के आस पास के बेहद खूबसूरत नजरो का लुफ्त उठायें,और प्रकृति के नजरो को महसूस करें, यहाँ के लोकल लोगो से आस पास के दूसरे गांव में भी घूमने जा सकते हैं,

Day 4
Trekking and Other Activity

मुंसियारी में वैसे तो यहाँ से ऊँची चोटियों के लिए ट्रैकिंग कराई जाती है, मगर यहाँ पास में ही खलिया टॉप ट्रैकिंग के लिए प्रसिद्ध है| यह मुंसियारी से ६ किमी की दुरी पर है जो आपके लिए रोमांचक अनुभव हो सकता है|

Day 5
Munsiyari to Delhi Return

यात्रा के आखरी दिन मुंसियारी से सुबह ६ बजे वापसी के लिए निकल जाएँ तक दिन की रौशनी में शाम तक पहाड़ी रास्तो को पूरा कर लें और हल्द्वानी के पार होते है आप प्लेन रस्ते पर रात में भी यात्रा कर सकते हैं,

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Munsiyari Uttarakhand Trip

Trip Facts

  • 5 Days
  • Easy
  • Mar, Apr, May, Jun, Sep, Oct
  • 2300 meter
  • March, April, September & October: 15 to 25 °, May and June: 20 to 30 °, July and August: 15 to 25 °
  • Cab or Bus/ Train/ Flight
  • Hotel/ Resort/ Camp
  • Must be in good health
  • Trekking/Visit
  • 8
  • 60