Trip to Kausani (कौसानी यात्रा)
Trip to Kausani (कौसानी यात्रा): उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित कौसानी शहर एक ऐसा शांत जगह है जो उत्तराखंड के भीड़-भाड़ इलाकों से दूर है और यही कारण है कि यहां पर लोग लाइफ के कुछ पीसफुल वक्त बिताने के लिए कौसानी आते हैं जो किसी स्वर्ग से कम नहीं।
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में स्थित कौसानी कस्बा हिमालय की कुछ ऐसे उम्दा चोटियों के दर्शन कराता है जो अपने आप में विशाल है जैसे नंदा देवी और पंचाचुली जैसे और छोटे बड़े पहाड़ी दृश्यों के लिए कौसानी अपने आप में किसी जन्नत से कम नहीं तो आइए चलते हैं कौसानी जहां पर आप अगले 3 दिन तक कब कहां और कैसे घूम सकते हैं इस बारे में हम बात करेंगे।
कुछ महत्वपूर्ण बातें:
समुंद्र तल से ऊंचाई– 1890
किसके लिए प्रसिद्ध है – फैमिली, नेचर लवर, कपल, ग्रुप ट्रैवलर
जाने का सही समय:
गर्मियों में – मार्च से जून & सितंबर से नवंबर
सर्दियों में – दिसंबर से फरवरी
कैसे जाएं?
निजी कार: सबसे आसान और सही तरीका अपना निजी वाहन कर के यहां पहुंचा जा सकता है दिल्ली से करीब ४00 किलोमीटर पड़ता है जो तकरीबन 9 से 10 घंटे का समय लगता है।
ट्रेन के द्वारा: अगर आप ट्रेन से जाना चाहते हो तो दिल्ली से काठगोदाम के लिए ट्रेन मिल जाएगी और काठगोदाम से कौसानी की दूरी लगभग 135 किलोमीटर है जो तकरीबन 4 से 5 घंटे का समय लगता है काठगोदाम रेलवे स्टेशन से कैब सर्विस आसानी से मिल जाती है जो 4 से 5000 तक का किराया लगता है।
वायुयान से: अगर आप हवाई जहाज से आना चाहते हो तो दिल्ली से पंतनगर के लिए हर हफ्ते 9 फ्लाइट उड़ती है आप अपने प्लान के अनुसार टिकट बुक करवा सकते हो और पंतनगर से कौसानी की दूरी लगभग 177 किलोमीटर है जो 6 से 7 घंटे का समय लगता है।
किस लिए प्रसिद्ध है कौसानी?
कौसानी अपने आप में किसी खूबसूरत पहाड़ों के समूह और चाय के बागानों से भरपूर हिमालय की गोद में बसा हुआ एक स्वर्ग है यहां पर वही लोग आते हैं जो भीड़भाड़ से बिल्कुल अलग और शांति का जीवन जीना चाहते हैं और इसके अलावा कौसानी ट्रैकर्स के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है यहां से नंदा देवी पांचाली और त्रिशूल जैसी बड़ी छुट्टियों के लिए ट्रेकिंग के रास्ते बने हैं।
इसके अलावा कौसानी ठंड के दिनों में बर्फ से पूरी तरह ढकी रहती है जो नेचर लवर्स और हनीमून कपल्स को अपनी तरफ बहुत आकर्षित करती है जिससे दिसंबर से लेकर फरवरी तक यहां हनीमून कपल आते रहते हैं।
वैसे तो कौसानी में आप कहीं भी रुक जाओ कहीं पर भी होटल ले लो या कैंप आपको प्रकृति का भरपूर नजारा देखने को मिलेगा मगर कुछ ऐसे प्रमुख जगह है जहां पर आपको जरूर जाना चाहिए और उन जगहों के कारण कौसानी को यात्री और भी ज्यादा पसंद करते हैं तो चलिए चलते हैं और देखते हैं कौन-कौन से ऐसे प्रमुख स्थान है जहां पर आप कौसानी में घूम सकते हैं।
कौसानी में कहां-कहां घूमे?
1. रूद्रधारी वाटर फाल और गुफा (रुद्राधारी मंदिर)
स्थान: कौसानी के पास, कंताली गांव से २km का ट्रेक करके यह पहुंचा जा सकता है
दूरी: १२ किमी दूर कौसानी से, (३० मि समय)
रुद्रधारी वॉटरफॉल और गुफा कौसानी अल्मोड़ा रोड पर स्थित है जो कौसानी से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर है प्राकृतिक सौंदर्य का दुर्लभ नजारा पेश करता है वाटरफॉल एक सीधी खड़ी पहाड़ की चोटी से नीचे बने एक गोलाकार गड्ढे में गिरता है और ठीक वहीं पर रुद्रधारी मंदिर भी स्थित है जो एक छोटी सी गुफा के अंदर बना हुआ है और यह मंदिर प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है रुद्रधारी वॉटरफॉल ट्रैक करते हुए त्रिशूल पर्वत और आदि कैलाश के क्षेत्र से बिल्कुल साफ नजर आता है।
रुद्रधारी वाटरफॉल की ठीक समीप जो मंदिर है उसे यहां पर भगवान शिव रुद्र और भगवान विष्णु जिनको हरि नाम दिया गया है दोनों नाम को मिलाकर इसे रूद्र और हरि के साथ जोड़कर रुद्रधारी नाम दिया गया।
यहां पहुंचने का सही समय मई से सितंबर 4 दिसंबर से जनवरी तक का होता है गर्मी और बरसात के दिनों में वाटरफॉल पूरी तरह से भरा होता है जो अपने आप में अद्भुत रूप पेश करता है।
2. अनाशक्ति आश्रम
दूरी: 1 किमी (कौसानी बस स्टैंड से)
पैदल या मोटरसाइकिल से
अनासक्ति आश्रम कौसानी का एक बहुत ही शांतिप्रिय स्थान माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि यहां पर 2 हफ्तों के लिए सन 1929 में महात्मा गांधी रहने के लिए आए थे और उनकी वजह से ही इसे गांधी आश्रम भी कहा जाता है और गांधी जी ने ही कौसानी को भारत का स्विट्जरलैंड बोला था कि बेहद खूबसूरत सुंदरता को देखकर यहां पर एक छोटा सा प्रार्थना कक्ष भी है जहां पर प्रत्येक सुबह और शाम को प्रार्थना किया जाता है।
यह अनासक्ति आश्रम प्राकृतिक प्रदूषण से मुक्त जगह पर मानसिक शांति के लिए बनाया गया था यहां पर एक छोटा सा संग्रहालय भी है इसमें गांधी जी के शब्द और फोटोग्राफ्स दिखाए गए हैं या आश्रम यात्रियों के लिए रहने की व्यवस्था भी कराता है जहां पर केवल 24 कमरे उपलब्ध हैं।
कमरे का किराया: ३००/दिन
खाना: ५०/-
3.सुमित्रानंद पंत गैलरी
दूरी: 5०० मीटर (कौसानी से)
एंट्री चार्ज: 10 रुपए/-
घूमने का समय: 1 घंटा
म्यूजियम में जाने का समय: १०:३० am se ४:३०
सुमित्रानंदन पंत की याददाश्त में बनाया गया हिंदी साहित्य का एक बेहतरीन नमूना पेश करता है या गैलरी सुमित्रानंदन आधुनिक हिंदी जगत के प्रमुख साहित्यकार माने जाते हैं जिनका जन्म कौसानी शहर में ही हुआ था और यहां की सरकार ने इस गैलरी का निर्माण उनकी याद में करवाया सुमित्रानंदन पंत एक ऐसे साहित्यकार थे जिनको भारत सरकार से ज्ञानपीठ सम्मान मिला और सोवियत यूनियन से नेहरू शांति पुरस्कार तथा साहित्य कला पुरस्कार और पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा गया।
4. बैजनाथ धाम
दूरी: २० किमी (कौसानी से)
समय: ४० मिनट
बैजनाथ एक है जो समुद्र तल से ऊंचाई पर स्थित है और यह बागेश्वर जिले के गोमती नदी के तट पर बसा हुआ है और उत्तराखंड के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है
बैजनाथ मंदिर पर यात्रियों की भीड़ हजारों की संख्या में महाशिवरात्रि के समय लगती है यह मंदिर भगवान बैद्यनाथ जो शिव के ही दूसरे रूप है जिसे चिकित्सक का दर्जा दिया गया है।
मंदिर के ठीक अंदर पार्वती माता की एक मूर्ति है जो काले पत्थर से बनाई गई है यह मंदिर नदी के किनारे सीढ़ीदार आकार के पत्थरों से निर्मित किया गया है जो कचोरी रानी ने बनवाया था।
मंदिर के ठीक बाहर गोल्डन महाशीर के नाम से एक झील है जिसमें बहुत सारी रंग बिरंगी मछलियां पाली गई हैं मगर यहां मछली मारना प्रतिबंधित है मगर यहां पर लोग आटा और चना लेकर आते हैं मछलियों को खिलाने।
बैजनाथ मंदिर का इतिहास
बैजनाथ मंदिर 1150 ए डी में कुमाऊं के कथित यूरी राजा के द्वारा बनाया गया था और बैजनाथ का क्षेत्र कत्यूरी राजा के समय यहां की राजधानी भी हुआ करती थी जो 17 से 11 वीं शताब्दी तक कत्यूरी राजा के द्वारा राज्य किया गया उसके बाद से इस जगह को कार्तिकेयपुरा के नाम से जाना गया।
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती गोमती नदी और गौर गंगा के समीप विवाह किए थे और यह मंदिर शिव वेदनाथ जिसे चिकित्सा के भगवान के नाम से जानते हैं और जिसे बैजनाथ नाम दिया गया यह मंदिर कत्यूरी राजा के द्वारा बनाया गया जिसमें भगवान शिव माता पार्वती गणेश संधि का कुबेर सूर्य और ब्रह्मा की मूर्तियां विराजमान है।
5. कौसानी चाय बागान
दूरी: 5 किमी/ 15मिनट
कौसानी चाय का बागान कौसानी प्रमुख स्थान माना जाता है जो कौसानी विमेंस शहर से बस 5 किलोमीटर की दूरी पर है और यह चाय का बागान 208 हेक्टेयर में 11 भागों में फैला हुआ है और यहां पर अत्याधुनिक है कि खेती की जाती है यहां की चाय भारत में ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया जर्मनी कोरिया और अमेरिका तक भेजा जाता है तो आप जब भी यहां आए तो यहां की चाय के मैदान में जरूर जाएं और यहां के उत्पादन प्रक्रिया को भी देखें।
6. दंडेश्वर मंदिर
दूरी: ८२ किमी/ २घंटा ४५मिनट
डंडेश्वर मंदिर उत्तराखंड के जागेश्वर जिले में स्थित है जो तकरीबन 124 मंदिरों के समूह से बना हुआ है मुख्य जागेश्वर मंदिर से सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है लेकिन कौसानी से जाने के लिए पूरे दिन की यात्रा निर्धारित करनी पड़ती है ताकि इस मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सके|
7. पिन्नाथ मंदिर
दूरी: 5किमी/ 30मिनट (by road)+ 5किमी (by trek)
पिन नाथ मंदिर कौसानी क्षेत्र के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है यह मंदिर समुद्र तल से 2750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह कौसानी मुख्य शहर से 10 किलोमीटर की दूरी है जिसमें 5 किलोमीटर तक बाई रोड से जाया जा सकता है और 5 किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी पड़ती है अगर आप ट्रेकिंग के शौकीन हैं और कुछ अलग करना चाहते हैं तो आपके लिए पिन्नथ मंदिर एक अच्छा धार्मिक जगह हो सकता है अगर आप यहां पर अक्टूबर के महीने में आएंगे तो यहां पर लगने वाले धार्मिक मेले का लुफ्त उठा सकेंगे।
8: सोमेश्वर मंदिर
दूरी: कौसानी से १२किमी पहले
सोमेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है यह मंदिर अल्मोड़ा डिस्ट्रिक्ट सोमेश्वर घाटी में स्थित है शिवरात्रि के पवित्र समय पर यहां एक भव्य मेला आयोजित किया जाता है और उस वक्त सभी श्रद्धालु इस मंदिर में एकत्रित होते हैं और अपने प्रिय जनों के लिए अच्छे हैं स्वस्थ और भविष्य की कामना करते हैं
सोमेश्वर मंदिर दो नदियों के तटों के बीच स्थित है कोसी नदी और साईं नदी जो सोमेश्वर घाटी से गुजरती है।
ऐसा कहा जाता है कि सोमेश्वर मंदिर को चंद साम्राज्य के राजा सोमचंद ने बनवाया था और आश्चर्य रूप से देखा जाए तो यह मंदिर 2 नामों से मिलकर बनाया गया राजा रामचंद्र और महेश्वर। इस मंदिर के ऊपर बहुत ही बारीकी से उसे पत्थरों की नक्काशी की गई है जिससे यहां का वातावरण एक अद्भुत सकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है जो यात्रियों को आकर्षित करता है
Overview
कुछ महत्वपूर्ण बातें:
समुंद्र तल से ऊंचाई– १८९०
किसके लिए प्रसिद्ध है – फैमिली, नेचर लवर, कपल, ग्रुप ट्रैवलर
जाने का सही समय:
गर्मियों में – मार्च से जून & सितंबर से नवंबर
सर्दियों में – दिसंबर से फरवरी
कैसे जाएं?
निजी कार: सबसे आसान और सही तरीका अपना निजी वाहन कर के यहां पहुंचा जा सकता है दिल्ली से करीब ४00 किलोमीटर पड़ता है जो तकरीबन 9 से 10 घंटे का समय लगता है।
ट्रेन के द्वारा: अगर आप ट्रेन से जाना चाहते हो तो दिल्ली से काठगोदाम के लिए ट्रेन मिल जाएगी और काठगोदाम से कौसानी की दूरी लगभग 135 किलोमीटर है जो तकरीबन 4 से 5 घंटे का समय लगता है काठगोदाम रेलवे स्टेशन से कैब सर्विस आसानी से मिल जाती है जो 4 से 5000 तक का किराया लगता है।
वायुयान से: अगर आप हवाई जहाज से आना चाहते हो तो दिल्ली से पंतनगर के लिए हर हफ्ते 9 फ्लाइट उड़ती है आप अपने प्लान के अनुसार टिकट बुक करवा सकते हो और पंतनगर से कौसानी की दूरी लगभग 177 किलोमीटर है जो 6 से 7 घंटे का समय लगता है।