Vridh Jageshwar Dham Temple, Uttarakhand
वृद्ध जागेश्वर धाम
वैसे तो हम सब ने जागेश्वर धाम का नाम जरूर सुना होगा मगर जागेश्वर धाम से कुछ ही दूरी पर Vridh Jageshwar Dham Temple Uttarakhand है जो जागेश्वर धाम से 500 साल पुराना माना जाता है और यहां की चमत्कारी बातें जो हर एक इंसान को प्रभावित करती हैं मगर यहां के कुछ तथ्य ऐसे हैं जिससे जानने के लिए आपको वहां खुद जाना पड़ सकता है।
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के अल्मोड़ा डिस्ट्रिक्ट से 35 किलोमीटर की दूरी पर वृद्ध जागेश्वर धाम मंदिर है यहां जाने के लिए डायरेक्ट गाड़ी बुक करके जा सकते हैं या फिर जागेश्वर धाम मंदिर से 3 किलोमीटर कि ट्रैकिंग करके पहाड़ी के ऊपर से जाया जा सकता है।
वैसे पूरे साल जागेश्वर धाम मंदिर पर लोगों की भीड़ लगी रहती है मगर वृद्ध जागेश्वर जाने के लिए लोगों को थोड़ी और मेहनत करनी पड़ती है क्योंकि यहां जाने वाले रास्ते काफी कच्चे और रिस्क से भरे हैं क्योंकि यहां आस-पास गहरी खाई है जिसकी वजह से ड्राइविंग संभलकर करनी पड़ती है।
ऐसा कहा जाता है कि लोग भले कितना भी मन बना कर आए मगर वृद्ध जागेश्वर धाम वही लोग जा सकते हैं जिनका बुलावा आता है और कुछ लोग जो बिना मन बनाए भी आते हैं लेकिन बुलावा आने पर वह लोग अपने आप वहां पहुंच ही जाते हैं।
उत्तराखंड में यहां इतने चमत्कारी चीजें हैं जो समय के साथ-साथ इस कलयुग में प्रकट होती रहती हैं ठीक उसी तरह से ही जागेश्वर और वृद्ध जागेश्वर में भी शिवलिंग का प्रकट होना इस कलयुग में चमत्कार की तरह ही है मगर ऐसा कहा जाता है कि वृद्ध जागेश्वर जैसा कि नाम से ही या वृद्ध है मतलब मुख्य जागेश्वर मंदिर से भी बड़ा माना जाता है।
वृद्ध जागेश्वर धाम में शिवलिंग की उत्पत्ति सातवीं शताब्दी में हुई थी जबकि मुख्य जागेश्वर धाम में शिवलिंग तेरहवीं शताब्दी में प्रकट हुए थे इसीलिए वृद्ध जागेश्वर का महत्व ज्यादा माना जाता है मगर यहां जाने के लिए सच्चे मन और सच्चे भक्त ही यहां पहुंच सकते हैं और सच्चे मन से मांगी गई मनोकामनाएं यहां पर जरूर पूरी की जाती है।
वृद्ध जागेश्वर मंदिर के चमत्कार और रहस्य
ऐसा कहा जाता है कि जागेश्वर मंदिर के मुख्य भाग में जहां पर शिवलिंग है वह भाग बहुत ही रहस्यमई और चमत्कारिक है क्योंकि जो शिवलिंग प्रकट हुए हैं उस शिवलिंग के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह पाताल लोक तक गए हुए हैं जिसका कोई अंत नहीं है जिस प्रकार जब पहली बार आसमान से शिवलिंग प्रकट हुए थे तब शिव जी ने जिस प्रकार ब्रह्मा जी और विष्णु जी को बोला था कि शिवलिंग का अंत कहां तक है और कहां से शुरू हुआ है इसका पता लगाओ ठीक उसी तरीके से इस शिवलिंग का भी कोई अंत नहीं माना जाता।
और शिवलिंग के बराबर में जल प्रवाह करने के लिए जो क्यारी बनी होती है उस क्यारी में जल भरा हुआ है मगर उस जल की गहराई कितनी है इसका अभी तक कोई पता नहीं लगा सका और भारतीय पुरातत्व के लोग भी इसका पता लगाने की कोशिश किए मगर इसकी गहराई का पता नहीं चल पाया और यह कहा जाता है कि यह भी अनंत लोकतक गया हुआ है।
धार्मिक चमत्कार
वृद्ध जागेश्वर मंदिर की ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों के संतान नहीं होते या उनमें कोई रुकावट होती है तो अगर वह लोग श्रावण मास के समय यहां आकर शिवजी की पूजा करें और सच्चे मन से यहां पर यज्ञ और अनुष्ठान करवाएं तो वह लोग संतान सुख को प्राप्त करते हैं और ना केवल संतान सुख बल्कि सच्चे मन से जो लोग यहां पर यज्ञ और अनुष्ठान करते हैं य केवल अपने सच्चे हृदय से शिवजी की पूजा करते हैं उनकी मनोकामना जरूर पूरी की जाती है।
वृद्ध जागेश्वर से दिखने वाले प्रमुख हिमालय की चोटियां
वृद्ध जागेश्वर मंदिर पहुंचने के बाद यहां के नजारे बेहद खूबसूरत देखने को मिलते हैं क्योंकि यह मंदिर यहां की सबसे ऊंची चोटियों पर बना हुआ है जिसकी वजह से आसपास के बाकी चोटियों को हम आसानी से देख सकते हैं जिसमें से प्रमुख हिमालय पर्वत पांचाचोली है और नंदा देवी चोटी है।
पांचाचोलीचोटी हिमालय के एक साथ बनी पांच पर्वत की चोटियों के समूह को कहा जाता है जो पांच चोटियां पांडवों के नाम के ऊपर रखी गई है जिसकी ऊंचाई लगभग 6900 मीटर है और यहां पर भी कुछ पर्वतारोही जो प्रोफेशनल होते हैं वह यहां पर चढ़ाई करते हैं। और उत्तराखंड की सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी भी यहां से साफ दिखाई देती है जिसकी ऊंचाई लगभग 7900 मीटर है।
हमारी उत्तराखंड में ऐसे बहुत सारे रहस्यमई और चमत्कारी जगह है जिनके बारे में हमें बहुत कम पता है जिस वजह से हमें ज्यादा से ज्यादा एक्सप्लोर और लोगों तक पहुंचाना चाहिए जिससे हमें अपने सनातन धर्म और अपने देश की प्रमुख चमत्कारी और अविश्वसनीय जगह को हम लोगों तक पहुंचा सके और आप भी इस लेख को लोगों तक जरूर शेयर करें धन्यवाद।
Overview
वृद्ध जागेश्वर मंदिर के चमत्कार और रहस्य
ऐसा कहा जाता है कि जागेश्वर मंदिर के मुख्य भाग में जहां पर शिवलिंग है वह भाग बहुत ही रहस्यमई और चमत्कारिक है क्योंकि जो शिवलिंग प्रकट हुए हैं उस शिवलिंग के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह पाताल लोक तक गए हुए हैं जिसका कोई अंत नहीं है जिस प्रकार जब पहली बार आसमान से शिवलिंग प्रकट हुए थे तब शिव जी ने जिस प्रकार ब्रह्मा जी और विष्णु जी को बोला था कि शिवलिंग का अंत कहां तक है और कहां से शुरू हुआ है इसका पता लगाओ ठीक उसी तरीके से इस शिवलिंग का भी कोई अंत नहीं माना जाता।
और शिवलिंग के बराबर में जल प्रवाह करने के लिए जो क्यारी बनी होती है उस क्यारी में जल भरा हुआ है मगर उस जल की गहराई कितनी है इसका अभी तक कोई पता नहीं लगा सका और भारतीय पुरातत्व के लोग भी इसका पता लगाने की कोशिश किए मगर इसकी गहराई का पता नहीं चल पाया और यह कहा जाता है कि यह भी अनंत लोकतक गया हुआ है।