शिवलिंग की पूजा क्यों की जाती है?

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शिवलिंग की पूजा क्यों की जाती है?

शिवलिंग की पूजा क्यों की जाती है?: हिंदू धर्म के सभी लोग भगवान शिव के प्रति पूर्ण रूप से आध्यात्मिक भाव से उनकी उपासना करते हैं और हम खुद बचपन से लेकर अब तक शिव जी के बारे में जानते हैं मगर हम में से बहुत कम ही ऐसे लोग होंगे जो शिवलिंग की पूजा क्यों की जाती है इसके बारे में जानते होंगे और इस अज्ञानता के कारण ही हमारे मन में बहुत सारे ऐसे गलत मनगढ़ंत विचार पैदा हो जाते हैं और कुछ तो दूसरे धर्म के ना चाहने वाले लोग भी हमारे मन में शिवलिंग के प्रति ऐसे बुरे विचार पैदा कर देते हैं जिस पर हम या तो विचलित हो जाते हैं या उनकी बातों से सहमत हो जाते हैं|

मगर अब यह जरूरी हो चुका है कि हम अपने सनातन धर्म के इन तथ्यों के बारे में जाने और शिवलिंग की पूजा करने कीसच्चाई क्या है इसको समझ सके ताकि हम खुद और अपने आने वाली जनरेशन को भी इस सच्चाई से रूबरू करा सकें|

Mystery Behind Shiv-ling Worship

तो जरासर बात यह है कि मुगल समराज के भारत आने के बाद और अंग्रेजो के द्वारा हमारे ऊपर गुलामी राज करने के बाद से उनके द्वारा ऐसी गलत धारणा पैदा कर दी की शिवलिंग को शिवजी का गुप्तांग बताया और इस विचारधारा को कुछ हिंदू धर्म के लोगों ने भी स्वीकार कर लिया जो सरासर गलत है और आज इस वीडियो के माध्यम से हम आपको शिवलिंग की वास्तविकता समझाएंगे और ऐसा क्यों हुआ इससे भी परिचित कराएंगे बस आपसे निवेदन है कि इस वीडियो को अंत तक देखें और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

संस्कृति एक ऐसी लिखी जाने वाली और बोली जाने वाली भाषा है जिसमें एक शब्द के अनेक अर्थ निकलते हैं और हर एक शब्द का अपना एक मतलब होता है जिसको हिंदी में उसी शब्द के कुछ और भी मतलब निकल सकते हैं जैसे उदाहरण के तौर पर अगर मैं बोलूं की अर्थ शब्द का मतलब एक तरह से किसी चीज का उदाहरण देना या उसका मतलब बताना होता है जबकि इसको दूसरे भाषा में बोले तो अर्थ का मतलब पैसों यार रुपयों से होता है जैसे अर्थशास्त्र मतलब की पैसे और वित्तीय लेन देन का ज्ञान ठीक उसी तरीके से संस्कृत भाषा में सूत्र का मतलब डोरी होता है या धागा जबकि इसका दूसरा मतलब गणितीय सूत्र होता है जैसे किसी गणितीय ज्ञान को एक जटिल समीकरण में लिख देना।

ठीक उसी प्रकार लिंग शब्द का भी गलत मतलब निकाला गया संस्कृत भाषा में लिंग शब्द का मतलब होता है चिन्ह मतलब किसी चीज का सिंबल उसका प्रतीक जबकि इस शब्द को इंसानों के गुप्तांग से जोड़ दिया गया जोकि सरासर गलत है इंसान के जननांग को संस्कृत भाषा में शीसन कहते हैं।
अब यहां पर आप को समझने की जरूरत है अब कहा जाता है शिवलिंग जिसका यहां पर सीधा सा मतलब हुआ है भगवान शिव जी का प्रतीक संस्कृत भाषा में लिंग का मतलब चीन होता है या प्रतीक तो शिवलिंग मतलब शिवजी का प्रतीक इससे हम उन्हें पहचान सकें ठीक उसी प्रकार हम संस्कृत भाषा में स्त्रीलिंग और पुरुष लिंग बोलते हैं पुरुष लिंग जिसका सीधा सा मतलब हुआ किसी पुरुष का प्रतीक, स्त्रीलिंग मतलब उस स्त्री का प्रतीक,

मतलब यहां पर अगर आप लिंग को गुप्तांग से जुड़ेंगे तो इसका मतलब क्या यह हुआ कि उस स्त्री का भी लिंग है? नहीं ना ऐसा बिल्कुल नहीं है तो यहां इस बात से साबित होता है कि स्त्री का कोई लिंग नहीं होता तो लिंग का यहां पर गुप्तांग से जुड़ना सरासर गलत हुआ। यहां पर लिंग का सीधा सा मतलब हुआ उस स्त्री का प्रतीक चिन्ह। अब यहीं पर कुछ दूसरे धर्म के लोग हम हिंदुओं को बेवकूफ बना कर चले जाते हैं और हम बन भी जाते हैं। और इसका एक और प्रमाण है कुछ स्त्रियां  शिवलिंग को स्पर्श नहीं करती सिर्फ और सिर्फ इसी विचारधारा की वजह से जो कि बिल्कुल गलत है।

अब सवाल यहां से पैदा होता है कि शिवलिंग की उत्पत्ति आरंभ कहां से हुआ तो हम आपको बता दें कि इस पूरे आकाश, ब्रह्मांड, शून्य, निराकार इन सब को एक लिंग के रूप में माना गया है।
स्कंद पुराण के अनुसार बिल्कुल स्पष्ट तरीके से बताया गया है कि ब्रह्मांड का आकार लिंग के रूप में है और इस पृथ्वी का और पूरे यूनिवर्स का एक्सेस इस लिंग के ऊपर ही टिका हुआ है और जिसका ना तो शुरुआत है ना ही अंत जो पूरी तरह से अनंत है और वैसे ही हमारा ब्रह्मांड भी अनंत है।

अब यहां पर हमें यह समझना है कि पूरा ब्रह्मांड केवल दो चीजों से बना है मैटर यानी पदार्थ और दूसरा एनर्जी यानी ऊर्जा , जैसा कि हमारा शरीर इंसानों का शरीर पदार्थ से बना है और हमारी आत्मा उर्जा से बनी है और और इन दोनों के मिलन से इंसान के शरीर बना ठीक उसी प्रकार शिव और शक्ति यानी पदार्थ और ऊर्जा के मिलन से शिवलिंग का निर्माण हुआ यानी शिव और पार्वती, शिव शक्ति, पृथ्वी आकाश इनकी मिलन की रचना ही शिवलिंग है|

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अब इस चीज के प्रमाण के लिए एक और चीज पर हम चर्चा करते हैं योनि शब्द को लेकर भी लोगों में बहुत सारे गलत विचार समाज में फैला है इस शब्द को स्त्री के जननांगों से जोड़ दिया गया जबकि यह भी पूरी तरीके से गलत है संस्कृत भाषा स्पष्ट रूप से कहती है कि योनि शब्द का मतलब होता है कि किसी रूप में जन्म लेना।

जैसे आपने सुना होगा 84 लाख योनि यानी 84 लाख जन्म,  जैसे मनुष्य योनि, जीव जंतु की योनि, कीड़े मकोड़ों की योनी, इसका मतलब की उस रूप में जन्म लेना तो क्या इसका मतलब यह भी हुआ कि जीव जंतु की योनि यानी उनकी भी स्त्रियों के जैसे जननांग है क्या कीड़े मकोड़ों के भी स्त्रियों के जैसे जननांग है? जी नहीं यहां से यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि योनि शब्द का मतलब उस जन्म को लेना जिस रूप में प्रकृति ने उसे दिया है ।
अब यहां पर एक और बात समझने के लिए है कि यहां पुरुष और स्त्री की अलग-अलग योनि नहीं होती है पुरुष और स्त्री को मिलाकर मनुष्य की योनि मानी जाती है।

अब बात आती है कि शिवलिंग का निर्माण कैसे हुआ तो जरासर बात यह है कि आरंभ में भगवान को प्राप्त करने के लिए ऋषि मुनि ध्यान लगाते थे मेडिटेशन करते थे उसके लिए वह लोग दीप जलाकर उसकी रोशनी के ऊपर ध्यान केंद्रित करते थे हालांकि यह बात ऐसे ही किसी ने नहीं कहीं यह प्रमाण आपको स्कंद पुराण के अनुसार मिल जाएगा।

तो हुआ यूं कि हवा चलने की वजह से दीपक की लौ हमेशा इधर-उधर हिलती थी जिस वजह से ध्यान लगाना बहुत ही मुश्किल हो जाया करता था तब बात यह हुई कि कोई एक ऐसा रूप बनाया जाए जो दीपक की तरह ही हो तब उसी वक्त दीपक के आकार की तरह एक पत्थर का रूप तैयार किया गया जो शिवलिंग का रूप धारण हुआ और अब आप भी यह सोच कर समझ जाएंगे कि शिवलिंग का रूप भी बिल्कुल दीपक की ज्योति की तरह ही होता है और शिवलिंग के बराबर में जो धाराप्रवाह के लिए क्यारी बनती है वह भी उस मिट्टी के दीपक के आकार के तरह ही होती है|

तो अब आप पूरी तरह से समझ चुके होंगे की शिवलिंग का निर्माण कैसे हुआ और इसकी वास्तविकता क्या है अब आप आज से यह वादा करें कि शिवलिंग का सही मतलब आप हर किसी को बताएंगे और खुद भी इस चीज को समझेंगे और कोई भी आपसे शिवलिंग के बारे में गलत धारणाएं देता उसे उस शिवलिंग की सच्चाई बताएं और उसे मुंहतोड़ जवाब दें ताकि वह फिर किसी को ऐसी वाहियात जवाब ना दे सके और आपको भी अपने हिंदू धर्म और सनातन धर्म के ऊपर गौरव हो।

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